The Impossible Comeback of Rahul Gandhi



राहुल गांधी।

उनके पापा राजीव गांधी

इंडिया इज एन ओल्ड कंट्री।

इंडिया के प्रधानमंत्री थे।

बट अ यंग नेशन।

जिनकी दादी इंदिरा गांधी।

बहनों और भाइयों

देश की पहली एंड ओनली वूमेन पीएम थी।

मैं अपनी आवाज वहां भी पहुंचाना चाहती

हूं।

वही राहुल गांधी को लोग पप्पू बोलने लग

गए।

आपके लिए मैं पप्पू हूं। अपोजिशन उनको

भूलने लग गया।

राहुल ने सर जो ये अमीरी गरीबी की बात की।

कौन राहुल?

आज वही राहुल गांधी ने ऐसा कमबैक किया है

कि ये नेक्स्ट पीएम बन सकते हैं। आइए आज

इनकी पूरी कहानी समझने की कोशिश करते हैं।

देखिए कहानी की शुरुआत 19 जून 1970 को

होती है जब राजीव गांधी और इनकी वाइफ

सोनिया गांधी को एक लड़का होता है जिसका

नाम रखा जाता है राहुल गांधी। अब राहुल

गांधी का जब जन्म हुआ था जब इनकी जो दादी

थी पीएम ऑफ इंडिया थी मतलब इंडिया की सबसे

बड़ी गद्दी में इनकी दादी बैठी हुई थी।

ऐसे में जब इनकी दादी ही देश के पीएम थी

तो यह नॉर्मल स्कूल में थोड़ा पढ़ते और

इसीलिए राहुल गांधी का सेंट कोलंबिया नाम

के एक स्कूल में एडमिशन कराया जाता है जो

दिल्ली का उस समय सबसे बेस्ट स्कूल था।

बाद में 1981 में ये देहरादून के अंदर द

डून नाम के एक स्कूल में चले आते हैं और

यह भी वहां का सबसे बेस्ट स्कूल ही था। सब

कुछ सही जा रहा था। यह अच्छी पढ़ाई कर रहे

थे। लेकिन आता है ईयर 1984 का और यहां पे

क्या होता है कि इंदिरा गांधी की डेथ हो

जाती है। अब देखिए यहां पे इनकी दादी बस

की डेथ नहीं हुई थी। देश की पीएम की भी

डेथ हो गई थी और इनका मर्डर किया गया था।

इनकी हत्या हुई थी और इसीलिए सिक्योरिटी

रीजन के चलते इसके बाद राहुल गांधी कोई

कॉलेज स्कूल वगैरह जाते नहीं है। इनके घर

में ही पढ़ाने के लिए टीचर्स आने लग जाते

हैं। सिक्योरिटी इतनी ज्यादा बढ़ा दी जाती

है कि ये घर से बाहर ही नहीं निकलते। घर

के अंदर यह सारे टाइम रहते हैं। बट फाइनली

6 साल बाद 1990 में हावर्ड जाते हैं

क्योंकि यहां पे अब इनको निकलना ही पड़ता।

तो ये यूएसए गए। वहां पे हावर्ड में

इन्होंने एडमिशन लिया। बट अगेन 1991 में

इनके फादर की डेथ हो जाती है राजीव गांधी

की और एक बार फिर से ये इंडिया आ जाते हैं

लौट कर। अब इनके परिवार में दो डेथ हो

चुकी थी। काफी ज्यादा प्रॉब्लम हो गई थी।

राहुल गांधी बाहर पढ़ने नहीं जा सकते थे।

इनकी सिक्योरिटी बहुत बड़ा इशू बन चुका

था। ऐसे में राहुल गांधी क्या करते हैं कि

अपना नाम चेंज करते हैं। राहुल गांधी की

जगह राहुल विंसी नाम से।

ऐसा भी था जब राहुल गांधी ने अपनी पहचान

छुपाई और लोग उन्हें राहुल गांधी नहीं

बल्कि राहुल विंसी के नाम से जानते हैं।

ये फ्लोरिडा जाते हैं जहां पे रोलिन कॉलेज

के अंदर अपना एडमिशन करवाते हैं और यहां

पे इंटरनेशनल रिलेशन को पढ़ते हैं। फाइनली

1995 में ट्रिनिटी कॉलेज के अंदर ये अपनी

पढ़ाई पूरी करते हैं और यहां पे इन्होंने

एमफिल किया था और यहां पे ही राहुल गांधी

की पढ़ाई रुक गई थी। इसके बाद यह नहीं

पढ़ते। यहां पे ये पूरा अपनी एजुकेशन कर

लेते हैं। अब देखिए राहुल इतना पढ़ चुके

थे। उन्हें इतना नॉलेज हो गया था कि

उन्हें यह समझ में आ गया था कि पॉलिटिक्स

में इनको एंटर नहीं करना है क्योंकि

पॉलिटिक्स में काफी ज्यादा फंस जाएंगे।

इन्हें कोई भी पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट

नहीं था और ये अपना ही काम कर रहे थे।

पॉलिटिक्स में ये नहीं आते हैं। बट इनके

परिवार की लेगसी इतनी ज्यादा बड़ी थी कि

घुमा फिरा के वो इन्हें पॉलिटिक्स में ले

ही आती है।

मीन दैट्स समथिंग वी बीन दैट हैज़ बीन

ड्रिल्ड इंटू अस फर्स्ट बाय माय ग्रैंड

मदर और देन बाय माय फादर। देयर इज़ नथिंग

यू फर्क अबाउट दिस इन।

और फाइनली राहुल गांधी को आना ही पड़ता है

इंडिया रिटर्न। और 1999 के समय जब राहुल

गांधी इंडिया रिटर्न आते हैं तब यहां पे

ये देखते हैं कि अभी के टाइम में इंडिया

में सरकार बीजेपी की चल रही है। अटल

बिहारी वाजपेयी पीएम बन चुके हैं इंडिया

के। दूसरी तरफ इनकी मम्मी जो है वो

नेक्स्ट पीएम बनने के लिए तैयार है।

सोनिया गांधी और यहां पे कांग्रेस पार्टी

पूरा जोर लगा रही है कि अगला इलेक्शन हम

जीत जाएं। वेल राहुल गांधी को समझ में आ

गया था कि अब उनकी मम्मी भी पॉलिटिक्स में

पूरा घुस चुकी है। अब कोई बचा ही नहीं है।

उन्हें ही यह लेगसी कैरी करना पड़ेगा जो

इतने सालों से चली आ रही है।

प्रीटी क्लियरली इन माय स्पीच इफ द

कांग्रेस पार्टी सो चूसेस व्हेन द

कांग्रेस पार्टी वांट्स मी टू डू एनी

एनीथिंग फॉर देम। आई एम हैप्पी टू डू दैट।

पूरा देश की राजनीति इनके कंधों में है।

यही सबसे बड़ी पार्टी है इंडिया की तो

इनको पॉलिटिक्स में घुसना ही पड़ गया।

फाइनली 2004 का समय आया। एक बार फिर से

चुनाव हुए और इस बार राहुल गांधी को चुनाव

लड़ाया जाता है। अब देखिए राहुल गांधी

अपना पहला इलेक्शन अमेठी से लड़ते हैं।

अमेठी जो है यह कांग्रेस की गद्दी है।

यहां पे कांग्रेस को कोई हरा नहीं पाता

था। 1967 से कांग्रेस अमेठी में हार ही

नहीं रही थी इसलिए राहुल को यहीं से

लड़ाया जाता है। एंड राहुल गांधी पहले ही

इलेक्शन में काफी आसानी से 2.5 लाख वोट से

जीत जाते हैं। अब राहुल बस नहीं पूरी

कांग्रेस ही चुनाव जीतती है। कांग्रेस का

ही पीएम बनना रहता है और सोनिया गांधी

बिल्कुल तैयार रहती है अगले पीएम बनने के

लिए। सबको यहां पर क्लियर था कि सोनिया

गांधी जी नेक्स्ट प्रधानमंत्री बनने वाली

है क्योंकि यही इनके परिवार की है और यही

चीज चली आ रही है। बट यहां पर राहुल गांधी

एक बड़ा डिसीजन लेते हैं। यह सोनिया गांधी

से कहते हैं कि आप पीएम नहीं बनोगे

क्योंकि आप अगर पीएम बने तो दो डेथ ऑलरेडी

हो चुकी है परिवार में। राहुल गांधी पूरी

तरह से सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने

के खिलाफ थे।

अब यहां पे तीसरी भी हो सकती है और यह कोई

रिस्क लेना नहीं चाहते थे। इसलिए इन्होंने

सोनिया गांधी को साफ मना कर दिया। उन्हें

डर था कि उनकी दादी और पिता की तरह उनकी

मां भी अपनी जान गवा बैठेंगी। तो राहुल

गांधी के कहने के बाद सोनिया गांधी तो

पीएम नहीं बनती है लेकिन 22 मई 2004 को

फाइनली मनमोहन सिंह को पीएम ऑफ इंडिया बना

दिया जाता है।

हिस्ट्री विल बी काइंड ऑफ़ टू मी देन द

कंटेंपररी मीडिया।

देखिए अभी तक राहुल गांधी का ना डाउनफॉल

हुआ था ना राइज हुआ था। यह बस आए थे। अपनी

लेगसी कैरी कर रहे थे। एक जगह से ये चुनाव

लड़े। वहां से जीत गए क्योंकि वहां से

कांग्रेस जीतता ही था। बाद में राहुल

गांधी शांत नहीं बैठते। चुनाव जीतने के

बाद यूपी जाते हैं। वहां पे रैली वगैरह

निकालते हैं। वहां पे देखते हैं कि क्या

चल रहा है अभी। इवन फार्मर्स को, दलित को,

छोटी कास्ट, बड़ी कास्ट सबको ये बराबर ले

आते हैं। और यह हमेशा यही कहते थे कि

कांग्रेस कभी भी दो लोगों को डिवाइड नहीं

करता है। चाहे वो किसी भी कास्ट के हो,

किसी भी रिलीजियस के हो, कांग्रेस का काम

मिलाना है।

बिलीव दैट व्हाट इज गोइंग ऑन इन इंडिया

टुडे, द डिवीजन ऑफ़ इंडिया अलोंग कास्ट

लाइंस, अलोंग रिलीजियस लाइंस इज़

अब्सोलुटली रोंग। राहुल गांधी जब ऐसे सब

इंटरव्यू देते हैं, बहुत अच्छी बातें करते

हैं इंग्लिश में तो लोगों को इनकी

पर्सनालिटी बहुत अच्छी लगती है। राहुल

गांधी का राइस होने लग जाता है और 2009

में क्या होता है कि इलेक्शन होते हैं तो

इस बार राहुल गांधी 391,000 वोट से जीत

जाते हैं। वेल 2009 में अगेन कांग्रेस

जीतती है। 206 सीट इनकी पार्टी को मिलती

है। एक बार फिर से मनमोहन सिंह को पीएम

बनाया जाता है। साथ में राहुल गांधी ने भी

कमाल किया था। अमेठी के अंदर 2004 में 2.5

लाख से जीते थे और 2009 में लगभग डबल हो

गया था यह मार्जिन। राहुल गांधी को सब लोग

अच्छा बोल रहे थे। ये लेगसी अच्छे तरीके

से कैरी कर रहे थे। इवन ये खुद का भी राइज

करा रहे थे। थोड़े बहुत काम कराते। बट ईयर

आता है 2014 का और सब कुछ उलटपुलट हो जाता

है। देखिए होता क्या है कि 2014 के अंदर

नरेंद्र मोदी की एक अलग इमेज निकल के आती

है पूरे देश के सामने। सबसे पहले नरेंद्र

मोदी एक कैंपेन चलाते हैं जिसका नाम रहता

है कि अच्छे दिन आने वाले हैं जिससे वो

लोगों के मन में बैठाता हैं कि अच्छे दिन

आ जाएंगे। अगर मोदी जी आ जाएंगे तो। साथ

में नरेंद्र मोदी हर भाषण में राहुल गांधी

को शहजादा कह के बुलाते हैं ताकि लोगों को

लगे कि वह शहजादे हैं और यह चाय वाले हैं।

शहजादे

सरकार आपकी है।

देश पर हुकूमत आपकी है। आपकी पार्टी की

है।

अब देखिए यहां पर दो चीजें होती है। एक तो

नरेंद्र मोदी अपने आप को चाय वाला बुला

रहे थे। दूसरी चीज ये राहुल गांधी को

शहजादा बुलाने लग गए थे। लोगों को अब ये

लगने लगा था कि इलेक्शन चाय वाला वर्सेस

शहजादा है जिसकी लेगसी पहले से है। पूरा

खानदान जिसका पॉलिटिक्स में बनता आया है

जीतता आया। तो लोग यहां पे मोदी को वोट

डालने लग गए और 2014 के इलेक्शन में इतना

उलटफेर हुआ कि लिटरली कांग्रेस को 44 सीट

बस मिली। राहुल गांधी अपनी सीट में एक बार

फिर से जीत चुके थे। लेकिन दिक्कत वाली

बात ये थी कि इनकी पार्टी बहुत बुरे तरीके

से हार गई थी। 2009 में जिनके पास 206 सीट

थी वहीं राहुल गांधी के पास अभी

मिलाजुलाकर 44 सीट थी। मतलब कितने बुरी

हार थी इनकी ये। हालांकि उस समय आप राहुल

गांधी का इंटरव्यू देखेंगे तो आपको समझ

में आएगा कि बिल्कुल चिल है। इनको कोई

फर्क नहीं पड़ता और उसका कारण यही है कि

इतने साल से जीत रहे हैं कि इनको लगा आगे

जीत जाएंगे। अभी हार गए तो क्या होगा?

मैंने कैंपेन में क्लियरली बोला था कि

जनता मालिक है और मालिक ने आर्डर दिया है।

डायरेक्शन दिया है। तो मैं सबसे पहले

नरेंद्र मोदी जी को बीजेपी को बधाई देना

चाहता हूं।

बट अभी इनको अंदाजा भी नहीं था कि अभी तक

ये जो चला आ रहा है कि यह जीत जाते हैं

बार-बार। यह नहीं होने वाला है। यह चीज अब

खत्म होने वाली है। पोजीशन इनको खत्म कर

देगा पूरे तरीके से। इनको अंदाजा भी नहीं

था कि 2014 के बाद इनका ऐसा डाउनफॉल आएगा

जिसको कमबैक में कन्वर्ट करने के लिए सब

कुछ दांव पर लगाना पड़ जाएगा। देखिए होता

क्या है कि 2014 में जैसे ही मोदी इलेक्शन

जीतते हैं पूरी मीडिया मोदी की तारीफ करने

लग जाती है। बीजेपी का मेन फेस मोदी को

बना दिया जाता है। एंड दिक्कत वाली बात यह

होती है कि कांग्रेस का मेन फेस बना दिया

जाता है राहुल गांधी को। अब राहुल गांधी

जो चुनाव जीतने के बाद भी पीएम नहीं बनने

वाले थे जो कांग्रेस का मेन फेस तो कहीं

से भी नहीं थे। इनको मेन फेस बना दिया गया

कांग्रेस का। एंड ऐसे में जब कांग्रेस

हारी तो सब लोग कहने लग गए कि राहुल गांधी

हार गए हैं जबकि राहुल गांधी अपनी सीट से

जीते थे लेकिन इनकी हार बताने लग गए सब

लोग। इसके जस्ट 2 साल बाद 2016 में Jio का

बूम हुआ। सब जगह इंटरनेट आ गया। लोगों के

पास मोबाइल फस आ गए टच स्क्रीन वाले।

लोगों के पास YouTube में बहुत ईज़ली

न्यूज़ एक्सेसबल हो गई और इस बार बहुत

दिक्कत बढ़ने वाली थी। क्या है कि न्यूज़

चैनल तो वैसे भी दिखा ही रहे थे कि मोदी

बहुत महान है और राहुल गांधी बेवकूफ हैं।

लेकिन जैसे ही मोबाइल बूम होता है, Jio

बूम होता है, हर जगह राहुल गांधी के मीम

बनाए जाते हैं और राहुल गांधी को दिखाया

जाता है कि ये पप्पू है, ये बेवकूफ हैं।

बीजेपी का आईटी सेल इस तरीके से इनके मीम

बनाता है कि मोदी की स्पीच भी अगर कहीं

बोल रहे हैं कि आलू डालोगे सोना बनेगा तो

ये इनकी स्पीच बता के वायरल कर दिया जा

रहा है। लोग भी इतने बेवकूफ कि उनको लग

रहा है कि एक्चुअली में राहुल गांधी ने

बोला और राहुल गांधी की इमेज पप्पू जैसे

निकल के आ जाती है पूरे देश के अंदर। यह

चीज राहुल गांधी को भी पता लग जाती है और

वह भी लगातार एडमिट करते हैं कि हां मैं

पप्पू हूं।

आपके लिए मैं पप्पू हूं।

अब ये सारी चीजें जब हो रही थी तो

कांग्रेस पार्टी भी नीचे जा रही थी। राहुल

गांधी एज अ पर्सन भी नीचे जा रहे इनका

डाउनफॉल होता ही जा रहा था और ये डाउनफॉल

सबसे बड़े डाउनफॉल में बनता है 2019 के

अंदर जब राहुल गांधी अमेठी के अंदर भी हार

जाते हैं। 2019 इलेक्शन में बीजेपी बहुत

बड़े मार्जिन से जीतती है। पूर्ण बहुमत से

जीतती है। कांग्रेस एक बार फिर से हारती

है। 50 सीट ही इनकी आती है और दिक्कत वाली

बात ये थी कि राहुल गांधी अमेठी हार गए।

1967 से कांग्रेस अमेठी जीतता जा रहा था।

इवन राहुल गांधी भी यहां तीन बार जीते थे।

लेकिन इस बार यह हार चुके थे स्मृति ईरानी

से। इसके बाद तो राहुल गांधी के और मीम

बनने लग गए। इन्हें पप्पू और ज्यादा बोला

जाने लगा। लोग इन्हें बिल्कुल ही बेवकूफ

समझने लग गए। लोगों को लगा कि यार सामने

वाली पार्टी खत्म हो चुकी है। कांग्रेस का

दी एंड हो गया है। सबको लग रहा था

कांग्रेस का जो दी एंड हुआ है उसका कारण

राहुल गांधी है और यही सबसे बड़ा कारण है।

इवन लोगों बस को नहीं राहुल गांधी को भी

लगने लगा कि ये कमाल के लीडर शायद नहीं है

और इसीलिए इन्होंने कांग्रेस के

प्रेसिडेंट का पद छोड़ दिया 2019 के बाद।

2019 से लेकर 2022 तक राहुल गांधी गायब हो

गए। सबको लगा राहुल गांधी का द एंड हो

गया।

आप सोचिए इतनी बड़ी पार्टी का वारिस जो

हारवर्ड में पढ़ के आया है, ट्रिनिटी

कॉलेज में पढ़ के आया है, जो इतनी सारी

चीजें सीख के आया है, उसको बेवकूफ की इमेज

बना दी गई है और वो उस पे थूप दी गई है।

तो मोटा-मोटा यहां तक कांग्रेस की लेगसी

हो, राहुल गांधी एज अ इंडिविजुअल हो,

राहुल गांधी जैसे भी हो, हर तरीके से

डाउनफॉल हो चुका था। ये क्रैश हो चुके सब

लोग समझ रहे थे। इनका डी एंड हो गया है।

बट होता क्या है कि 2022 में सितंबर के

महीने में राहुल गांधी अनाउंस करते हैं कि

हम भारत जोड़ो यात्रा करने वाले हैं।

जिसमें 3570 कि.मी. यह पैदल चलने वाले

हैं। इस यात्रा के दौरान ये कन्याकुमारी

से कश्मीर तक जाएंगे 3570 कि.मी. और पूरी

जगह प्यार बांटने वाले हैं। सबसे मिलने

वाले। लोगों को ये मजाक लग रहा था। मीडिया

में ये चीज कवर नहीं हो रही थी। सब लोगों

को ऐसे ही लग रहा था कि राहुल गांधी तो

ऐसे ही कहते रहते हैं। ये कुछ भी बोलते

हैं। बट राहुल गांधी जब यह शुरू करते हैं

यात्रा तो लोग इनसे जुड़ने लग जाते हैं और

इस यात्रा के बाद यह बिल्कुल चेंज दिखते

हैं। कमाल तो जब होता है कि जब ये यात्रा

कंप्लीट होती है तो एक बार मीडिया

रिपोर्टर इनसे पूछता है कि राहुल गांधी की

पहले ऐसी इमेज थी तो राहुल गांधी इसके

जवाब में कहते हैं कि वो राहुल गांधी अब

मर चुका है। वो राहुल गांधी को आप भूल

जाए।

गांधी आपके दिमाग में है। मैंने मार दिया

उसको। गया वो। जिस व्यक्ति को आप देख रहे

हो वो राहुल गांधी नहीं है।

देखिए स्पीच नॉर्मल नहीं इसके बाद

एक्चुअली में राहुल गांधी की पर्सनैलिटी

इतनी ज्यादा चेंज हो गई थी कि सबको लगने

लग गया था कि ये बहुत मैच्योर हो गए हैं।

बड़े-बड़े एजुकेटर हो या फिर कोई भी हो वो

कहने लग गए थे कि राहुल गांधी अब पीएम बन

सकते हैं वो डिर्व करते हैं।

कि जितना हारने के बाद इतने चुनाव हारने

के बाद भी वो इंसान चुनाव में रेलेवेंट

बना हुआ रहता है।

इसके बाद राहुल गांधी और मुद्दे उठाने लग

गए। मोदी के बारे में बोलने लग गए। बोलने

लग गए कि अडानी अंबानी मोदी के कारण बड़े

हुए हैं। ये छोटों को बड़ा नहीं करना

चाहते। बड़ों को ही बड़ा करना चाहते हैं।

राहुल गांधी अब सही चीज में आवाज उठा रहे

थे। लगातार इनकी आवाज मीडिया दबाने की

कोशिश करता है। इसके बाद भी इनकी आवाज

लोगों तक पहुंच रही थी और ये चीज देखने को

मिलती है 204 के इलेक्शन में जब कांग्रेस

को 99 सीट मिलती है जो डबल थी 2019 और

2014 से। इवन कांग्रेस बस को 99 सीट नहीं

मिली थी। कमाल बात ये थी कि बीजेपी जो 400

का इतना ज्यादा हवा भर रही थी उनको 400

क्या 250 सीट भी नहीं मिली थी। इवन कमाल

बात ये थी कि राहुल गांधी इस बार अपनी

दोनों सीटों से जीत चुके रायबरेली वायनाड

ये दोनों जगह तो जीत ही गए थे साथ में

2019 के अंदर जहां ये हार गए थे अमेठी में

इस बार यहां पे इनका ड्राइवर स्मृति अरानी

को हरा देता है। लोग अब इनको और सीरियस

लेने लग गए और इसके बाद ये एक मुद्दा

उठाते हैं जब ये कहते हैं कि स्टॉक

मार्केट को बहुत ज्यादा मैनपुलेट किया गया

है। इन्होंने बताया कि किस तरीके से मोदी

और अमित शाह ने बोला कि 400 पार होंगे।

स्टॉक लीजिए स्टॉक ऊपर जाएगा और स्टॉक

एकदम से क्रैश कर गया। होम मिनिस्टर ने

सीधा कहा कि 4 जून को स्टॉक मार्केट आसमान

में जाएगी। लोगों को खरीदना चाहिए। इस

तरीके से इन्होंने पूरा बताया कि इन्होंने

बड़े लोगों का पैसा बनवाया। छोटे लोगों का

पैसा यहां डूबा है और यह चीज सही भी लग

रही थी सबको। बट यह मुद्दा फिर भी उतना

ज्यादा नहीं चला। लेकिन इसके बाद ये लेके

आते हैं वोट चोरी का एक ऐसा मुद्दा जिसने

पूरी काया पलट दी। देखिए जब ये वोट चोरी

का मुद्दा लेके आते हैं तो ना इलेक्शन

कमीशन के पास कोई जवाब रहता है ना मोदी के

पास। किसी के पास कोई जवाब ही नहीं था।

सबको एक्चुअली में सही लगने लग गया

क्योंकि जब जवाब ही नहीं दे रही है

अपोजिशन तो यह सही होगा कि उन्होंने वोट

चोरी की है। कमाल बात पता है आपको क्या

है? बिहार में अभी इलेक्शन होने वाले हैं

और बिहार के इलेक्शन से सेंट्रल की

गवर्नमेंट तक पलट सकती है। इसी टाइम पे

राहुल गांधी ने इतना बड़ा मुद्दा उठाया है

कि अपोजिशन के पास कोई जवाब नहीं है और

बिहार में चुनाव होने वाले हैं। मतलब अभी

बहुत ज्यादा दिक्कत में आ गई है सामनेवाली

गवर्नमेंट। और इसी को देखते हुए नीतीश

कुमार ने बिहार में बोला है कि ₹10,000

डालेंगे महिलाओं के अकाउंट में। राहुल

गांधी आज आवाज उठा रहे हैं। सीट रिगेन कर

रहे हैं। इनकी इमेज फिर से बनती जा रही है

और ऐसा लग रहा है कि आज नहीं तो कल लेकिन

आने वाले टाइम में देश के पीएम बन सकते

हैं। आपको क्या लगता है क्या राहुल गांधी

कभी देश के प्रधानमंत्री बन पाएंगे?

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