Salaar Movie Explained in HINDI | Salaar Part 1 | Salaar (2023) Movie In HINDI

        Salaar Movie Explained in HINDI | Salaar Part 1  | Salaar (2023) Movie In HINDI         
                  मैं यह बताना चाहूंगा 
कि इस मूवी की स्टोरी काफी
घुमा फिरा के दिखाई गई है लेकिन आपको
कंफ्यूजन ना हो इसलिए मैं इसे सीधे-सीधे
ही समझाऊ यह कहानी है खानसा नाम के एक   
शहर की जो कि इंडिया का ही पार्ट है लेकिन
उसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे लगभग
हज साल पहले कई सारे खतरनाक डाकू एक जंगल
में रहते थे उन डाकुओं के तीन कबीले थे
मन्नार कबीला शोरिया कबीला और घनिया कबीला
इन तीन कबीलों ने मिलकर अपने उस गढ़ को
बहुत मजबूत बना लिया था और उन्होंने उस
जगह को नाम दिया खान सार जिस पर अंग्रेज
भी अपनी हुकूमत नहीं कर पाए फिर आजादी के
बाद जब भारत के नेता खान सार को अपने
नक्शे में शामिल करना चाह रहे थे तब उन
डाकुओं के मुखिया शिव मन्नार ने दिल्ली
जाकर खान सार को भारत के नक्शे से ही मिटा
दिया और उन्होंने ने संविधान को भी मानने
से इंकार कर दिया भारत का कानून खान सार
पर लागू नहीं था पर उन डाकुओं की दहशत
पूरे देश में फैली हुई थी और वो कहीं भी
कुछ भी कर सकते थे लेकिन अब पूरे देश में
लूट मरी करने की बजाय उन्होंने सिर्फ गैर
कानूनी धंधे वालों से ही कमीशन लेना शुरू
कर दिया इससे वह लोग बहुत ताकतवर और अमीर
हो गए लेकिन इस बढ़ती दौलत की वजह से शिव
मन्नार को यह डर सता रहा था कि इससे
डाकुओं में आपसी जंग ना शुरू हो जाए
इसीलिए उन्होंने खांस को एक सिस्टम में
बांधने का फैसला किया और खुद की एक कानूनी
किताब लिखी निबंधन जिसके हिसाब से
उन्होंने खान सार को 101 हिस्सों में बांट
दिया और हर हिस्से का एक नेता घोषित किया
सबसे कम दर्जे के नेता थे कापर उससे ऊपर
थे सरदार और सबसे ज्यादा पावर थी कर्ता
यानी राजा के पास जो कि फिलहाल शिव मन्नार
थे फिर 1985 में शिव मन्नार की मौत हो गई
और अब शौर्य कबीले के मुखिया की राजा बनने
की बारी थी लेकिन शिव मन्नार के बेटे राज
मन्नार को यह मंजूर नहीं था वह अपने पिता
की गद्दी छोड़ना नहीं चाहता था इसीलिए वह
अपनी फौज की मदद से पूरे शोरिया कबीले को
नींद में ही मरवा डालता है और खुद खान सार
का कर्ता बन जाता है अब वहां पर सिर्फ दो
ही कबीले बचे थे एक मन्नार और दूसरा घनिया
इस सबके बीच खान सार में एक दिलचस्प घटना
होती है राज मन्नार की दो बीवियां थी और
उसकी पहली बीवी के दो बच्चे थे बेटा
रुद्रा और बेटी राधा रमा इन दोनों को बहुत
इज्जत मिलती थी लेकिन राज मन्नार की दूसरी
बीवी के बेटे वर्धा और बाची को ज्यादा
इज्जत नहीं मिलती थी और रुद्रा और राधा
वर्धा और उसके भाई से नफरत करते थे पर
इसके बावजूद भी वर्धा को बराबरी का हक
मिलता है और उसे रुद्रा के जैसे ही एक
सरदार बनाया जाता है वर्धा का एक जिगरी
दोस्त था देव था रायसर जो कि शौर्या कबीले
का एक लड़का था वह बहुत ज्यादा हिम्मत
वाला और खतरनाक इंसान था जो कि वर्धा के
लिए अपनी जान तक दावों पर लगा देता था
वर्धा उसे अपना सलार बोलता था मतलब खास
सेनापति फिर बाद में जब राज मन्नार ने
घनिया के साथ मिलकर शौर्या को मारना शुरू
किया तब वर्धा ने अपने दोस्त को बचाने का
फैसला किया क्योंकि देवा शौर यांगा कबीले
का था उस टाइम पर घनिया कबीले के लोग देवा
और उसकी मां को मारने उसके घर गए थे तब
वर्धा वहां जाता है और वह देवा के परिवार
को बचाने के लिए अपना सरदार का कड़ा घनिया
कबीले के एक आदमी को दे देता है लेकिन राज
मन्नार से यह बात छुपाई जाती है कि वर्धा
ने एक शौर्या को बचाने के लिए अपना कड़ा
उतारा है फिर वर्धा देवा और उसकी मां को
खान सार से बाहर भेज देता है ताकि वह
सुरक्षित रहे लेकिन जाने से पहले देवा उसे
वादा करता ता है कि वर्धा जब भी उसे किसी
काम के लिए बुलाएगा तो वह जरूर वापस आएगा
इसके बाद देवा और उसकी मां गुजरात चले
जाते हैं और वह वहीं रहने लग जाते हैं इधर
वर्धा को सरदार के पद से उतार के एक कापर
बना दिया जाता है जिससे उसकी इज्जत और
दौलत काफी कम हो जाती है और उसका पिता उसे
घर से निकाल देता है इस तरह से 25 साल बीत
जाते हैं और अब 2010 में पहली बार खान सार
में विद्रोह की शुरुआत होने लगती है एक
दिन अचानक राज मन्नार को यह खबर मिलती है
कि खान सार में किसीने ने गुमनाम रूप से
बहुत सारे हथियारों की खरीदारी की है असल
में वहां कर्ता के खिलाफ साजिश चल रही थी
जिसका पता लगाने के लिए राज मन्नार कुछ
दिनों के लिए खांस से बाहर जाने का फैसला
करता है और वह अपनी जिम्मेदारी राधा रमा
को सौंप देता है पर राज मन्नार के जाने से
पहले उसका दामाद भरवा उसे बोलता है कि
उन्हें वर्धा को माफ करके उसे फिर से
सरदार बना देना चाहिए जिसके लिए राज
मन्नार तैयार हो जाता है और वह रंगा नाम
के एक आदमी से उसकी सरदार की कुर्सी मांग
लेता है रंगा असल में उसे उसी गनियार का
बेटा था जिसे 25 साल पहले वर्धा ने अपना
कड़ा दे दिया था इसलिए राज मन्नार उसी से
सरदार की कुर्सी वापस मांगता है लेकिन
रंगा इससे बहुत गुस्सा हो जाता है और वह
राज मन्नार के खान सार से जाने के बाद
वर्धा को मारने की कसम खा लेता है क्योंकि
खान सार के निबंधन में लिखा था कि कोई भी
अपनी ताकत साबित करके दूसरे की कुर्सी छीन
सकता है और क्योंकि रुद्रा अपने सौतेले
भाई वर्धा से नफरत करता था इसीलिए वह भी
रंगा के साथ मिल जाता है और वोह दोनों एक
रात अपनी फौज लेकर जाते हैं और वर्धा के
कई साथियों को मार डालते हैं फिर जब वह
वर्धा को मारने ही वाले होते हैं तब
उन्हें राजमहल से बुलावा आ जाता है जो कि
राधा ने भेजा था हालांकि वह भी वर्धा से
नफरत करती थी लेकिन राधा अपने पिता की
इच्छा का सम्मान कर रही थी इसीलिए वह
वर्धा को बचा लेती है और क्योंकि अभी हर
तरफ जंग का माहौल चल रहा था इसलिए उसे
रोकने के लिए राधा खान सार में सीस फायर
का ऐलान कर देती है सीज फायर मतलब कुछ समय
के लिए लड़ाई पर रोक पर रुद्रा को यह
मंजूर नहीं था वो वर्धा को मारने के अलावा
अपने पिता की गद्दी भी हड़पना चाह रहा था
इसीलिए वह सीस फायर हटाने के लिए वोटिंग
का प्रस्ताव रखता है जिसे मान लिया जाता
है और 9 दिन बाद वोटिंग रखी जाती है लेकिन
ज्यादातर लोगों को यह यकीन था कि वोटिंग
में सीस फायर को हटा दिया जाएगा और वह फिर
से जंग शुरू कर पाएंगे इसलिए हर कोई
वोटिंग से पहले ही अपनी-अपनी फौज बनाने
में लग जाता है ताकि सीज फायर हटते ही वह
राजा की कुर्सी के लिए लड़ पाए इस समय
वर्धा की टीम में बहुत कम लोग थे और उसी
की जान को सबसे ज्यादा खतरा था पर उसके
पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी कोई फौज
बना पाए इसीलिए वह अपने सलार यानी देव था
को खांस में वापस लाने का फैसला करता है
क्योंकि देवा अकेला एक फौज के बराबर था और
वह वर्धा के लिए कुछ भी कर सकता था इसलिए
वर्धा अपने साथी बिलाल को लेकर गुजरात चला
जाता है और वह देवा को खांस में वापस ला
लेता है यहां पर देवा वर्धा की बेइज्जती
और खांस के बुरे लोगों को देखकर बहुत
गुस्सा हो जाता है और वह एक दिन विष्णु
नाम के एक आदमी जो कि एक सरदार का बेटा था
और वह औरतों पे जुल्म करता था उससे भिड़
जाता है देवा वहां अकेले ही विष्णु और
उसके सभी साथियों को मार डालता है जिसकी
वजह से विष्णु का बाप नारंग बहुत भड़क
जाता है फिर देवा और वर्धा को एक अदालत
में पेश किया जाता है जहां नारंग उन दोनों
को सजा देने वाला था वहां जब नारंग वर्धा
को हाथ लगाता है तब देवा उसे सबके सामने
मार डालता है फिर वर्धा और देवा को एक जेल
में कैद कर दिया जाता है अब वोटिंग में बस
एक दिन बचा था और क्योंकि वर्धा के पास भी
कापर होने की वजह से वोटिंग का अधिकार था
इसीलिए राधा उसे जेल में आकर बोलती है कि
वह सीस फायर के पक्ष में वोट डाले ताकि
उसके पिता की इच्छा के लिए वह बच जाए और
खानसा का माहौल ठंडा हो जाए फिर वोटिंग का
दिन आता है और ज्यादातर लोग सीस फायर के
खिलाफ वोट डालते हैं लेकिन तभी अचानक राज
मन्नार वहां पहुंच जाता है जिसका वोट
मिलाकर सीस फायर हटाने और नहीं हटाने का
फैसला टाय हो जाता है अब वर्धा के वोट पे
ही सब कुछ निर्भर था लेकिन वह सीस फायर के
खिलाफ वोट दे देता है क्योंकि वह चाहता था
कि खान सार में अब जंग हो ताकि कि वो
उसमें हिस्सा लेकर देवा की मदद से सबको
हरा दे पर क्योंकि वर्धा ने राधा के खिलाफ
जाकर वोट दिया था इसीलिए वो उस परे बहुत
गुस्सा हो जाती है और वो वर्धा और उसके
साथियों को मारने का हुकुम दे देती है इस
मौके का फायदा उठाकर रंगा वर्धा को पकड़
लेता है और व उसके ऊपर बहुत सारे खूंखार
पागल छोड़ देता है तब वर्धा उनसे लड़ना
शुरू करता है उधर जब राधा के गुंडे वर्धा
के भाई और उसके दोस्तों को मारने की कोशिश
करते हैं तब देवा उन सबसे लड़के उन्हें
खत्म कर देता है फिर वो वर्धा की मदद कर
ने जाता है और वह दोनों मिलकर उन सब
पागलों और रंगा को मार डालते हैं इसके बाद
वर्धा देवा को बोलता है कि अब उसे सिर्फ
सरदार नहीं बनना है बल्कि वह पूरे खान सार
पर राज करना चाहता है तब देवा अपने दोस्त
की इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हो जाता
है दूसरी तरफ राजमन्नार अपनी बेटी को
बताता है कि उसने यह पता लगा लिया है कि
किसने उसके खिलाफ हथियारों की खरीदी की है
यह काम घनिया कबीले के लोगों ने किया था
जो कि खान सार पर कब्जा करने के लिए जंग
की तैयारी कर रहे थे इस के अलावा और भी
लोग थे जो कि राज मन्नार के खिलाफ
षड्यंत्र रच रहे थे उनमें से एक था उसका
बेटा रुद्रा जो कि अपने मामा के साथ मिलकर
अपने पिता की गद्दी हड़पना चाह रहा था
इनके अलावा राज मन्नार का सबसे बड़ा
दुश्मन था उसका दामाद भरवा जो कि मन्नार
कबीले का नहीं था वह असल में शौर्या कबीले
का था भरवा के एक साथी से राज मन्नार और
राधा को पता चलता है कि 25 साल पहले जब
शौर्या कबीले को मारा गया था तब उस कबीले
के लोगों ने अपने बच्चों को एक खुफिया
सुरंग में भेज कर बचा लिया था और वो सब
बच्चे इतने साल से बदले की तैयारी कर रहे
थे उनका नया लीडर था भरवा जो कि राजमहल
में रहकर सबको एक दूसरे के खिलाफ भड़का
रहा था और उन्हें कमजोर बना रहा था जिसकी
बदौलत अब ऐसा माहौल तैयार हो गया था कि
शोरिया कबीले वाले अपना बदला ले सके पर वो
लोग कर्ता की कुर्सी नहीं छीनना चाहते थे
बल्कि वो राज मन्नार को उसकी कुर्सी के
साथ जिंदा जलाने वाले थे और पूरे मन्नार
कबीले को खत्म करना चाहते थे लेकिन सिर्फ
एक ही शौर्या था जो कि उनके साथ नहीं था
और वह था देवर था रायसर देवा असल में
शौर्य कबीले के उस आदमी का बेटा था जिसे
25 साल पहले खान सार का राजा बनना था पर
राज मन्नार ने उसे मार दिया था इस हिसाब
से अब राजा की कुर्सी पर देवा का अधिकार
था लेकिन वह उल्टा राज मन्नार के बेटे
वर्धा का साथ दे रहा था यह सब घटनाएं सन
2010 की है इसके आगे क्या हुआ यह फिल्म
में दिखाया नहीं जाता बस हमें यह पता चलता
है कि बाद में वर्धा खान सार का राजा बन
जाता है और फिर किसी कारण से देवा और
वर्धा में दुश्मनी हो जाती है जिसकी वजह
से देवा अपनी मां के साथ भागना और छुप
शुरू कर देता है इसके अलावा अब राधा रमा
भी देवा से नफरत करने लग गई थी और वह उसे
मारना चाह रही थी फिर हमें सीधे 7 साल बाद
यानी 2017 का टाइम दिखाया जाता है जहां
कृष्णकांत नाम का एक बड़ा बिजनेसमैन जो कि
पहले खान सार के राजा के लिए काम करता था
उसे राधा मारने के लिए ढूंढ रही थी
क्योंकि कृष्णकांत ने 7 साल पहले देवा को
बचाने के लिए खान सार से गद्दारी की थी
इसलिए अब वह अपनी जान बचा ने के लिए
अमेरिका में रह रहा था लेकिन फिर एक दिन
कृष्णकांत की बेटी आध्या अपने पिता को
बिना बताए इंडिया आ जाती है और तब राधा
रमा के गुंडे कृष्णकांत से बदला लेने के
लिए उसकी बेटी को किडनैप कर लेते हैं तब
कृष्णकांत अपनी बेटी को बचाने के लिए
वर्धा के पुराने साथी बिलाल से मदद मांगता
है जो कि अब देवा की तरह ही वर्धा से अलग
हो गया था फिर बिलाल आध्या को उन गुंडों
से बचाता है और वह उसे आसाम के तिनसुकिया
गांव में लेकर जाता है जहां देवा और उसकी
मां रह रहे थे और क्योंकि कृष्णकांत ने
देवा की मदद की थी इसीलिए वह उसकी बेटी को
अपने पास छुपाने के लिए तैयार हो जाता है
लेकिन फिर राधा के लोगों तक यह खबर पहुंच
जाती है कि आध्या तिनसुकिया गांव में है
तब कई सारे गुंडे उस गांव में आकर आध्या
को पकड़ लेते हैं पर देवा उसे नहीं बचाता
क्योंकि उसकी मां ने अब उसे कसम दी थी कि
वह किसी पर हाथ ना उठाए लेकिन फिर देवा की
मां उसे आध्या की मदद करने बोलती है
इसीलिए वह उन गुंडों को मार देता है इसके
बाद देवा और उसकी मां आध्या को छोड़कर उस
गांव से भागने लगते हैं क्योंकि उन गुंडों
को मारने से ये खबर फैल गई थी कि देवा तीन
सुकिया गांव में है फिर जब बिलाल भी आध्या
के साथ वहां से भागने की कोशिश करता है तब
राधा के और भी गुंडे वहां आकर उन दोनों को
पकड़ लेते हैं और वो उन्हें एक सील वाली
गाड़ी में बिठाकर खानसा ले जाने लगते हैं
उस सील के लगने के बाद कोई भी उनकी गाड़ी
को रोक नहीं सकता था वो सील असल में देवा
के हाथ प बने एक टैटू की नगल थी 7 साल
पहले जब देवा ने वर्धा को खान सार का राजा
बनाया था तब उसने अपने टैटू को वर्धा का
शक्ति च ने घोषित कर दिया था फिर देवा ने
एक नया नियम बनाया कि कोई भी अगर उस टैटू
यानी सील वाले सामान को रोकेगा तो उसे मार
दिया जाएगा तब से वर्धा उस सील का
इस्तेमाल करके अपने गैर कानूनी धंधे कर
रहा था फिलहाल जब देवा यह देखता है कि
आध्या और बिलाल को सील लगाकर खानसा ले
जाया जा रहा है तब वह बीच में आकर उनका
रास्ता रोकता है और सबको मार देता है फिर
वह आध्या को बिलाल के साथ किसी सुरक्षित
जगह भेज देता है तब रास्ते में बिलाल
आध्या को खान सार की पूरी कहानी सुनाता है
दूसरी तरफ राधा रमा बहुत खुश थी क्योंकि
उसका प्लान कामयाब हो गया था असल में उसे
देवा और वर्धा दोनों से ही बदला लेना था
पर उन दोनों से लड़ना और जीतना बेहद
मुश्किल था इसीलिए राधा ने उन्हें आपस में
का फैसला कर लिया जब कृष्णकांत की
बेटी इंडिया आई तब राधा ने उसे पकड़ के
वर्धा की सील वाली गाड़ी में बिठा दिया
क्योंकि उसे पता था कि देवा आध्या को
बचाने जरूर आएगा फिर जब देवा ने उस सील
वाली गाड़ी को रोका तो इससे वह वर्धा की
नजर में आ गया और क्योंकि ये देवा का ही
बनाया हुआ नियम था कि जो भी उस सील के
रास्ते में आएगा उसे मार दिया जाएगा ऊपर
से अब देवा और वर्धा के बीच दुश्मनी भी थी
इसलिए वर्धा उसे मारने पर तुल जाता है तो
यह थी सलार पार्ट वन सीज फायर की स्टोरी
इसके आगे की कहानी हमें इस मूवी के सेकंड
पार्ट शौर्या पवम में दिखाई जाएंगी जहां
हमें पता चलेगा कि वर्धा खान सार का राजा
कैसे बना उसकी और देवा की दुश्मनी क्यों
हुई और क्या शौर्या कबीले वाले अपना बदला
लेने में कामयाब हो पाए यह सब जानने के
लिए हमें इंतजार करना होगा सर पार्ट टू का
जो कि 2025 में रिलीज होगा 

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