अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा कैसे किया

 

अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा कैसे किया

हिंदुस्तानियों ने लगभग 250 सालों तक

अंग्रेजों की गुलामी और ammanviy जुल्मी

को सहाय और अंग्रेजों के अत्याचार से

लगातार लड़ते हुए एन जाने कितने ही बच्चे

बूढ़े और युवाओं ने अपनी जान की कुर्बानी

दी तब कहीं जाकर हम आज आजाद देश में सांस

ले रहे हैं और आजादी के 75 साल पूरे होने

पर देश में अमृत महोत्सव माना सके हैं

लेकिन अंग्रेज हमेशा से ही भारत में नहीं

द बल्कि जब वे मेलों का सफर तय करके भारत

आए द तब यहां पर मुगलों का राज था और अगर

मुगल ना चाहते तो अंग्रेज भारत में प्रवेश

करके नहीं कर सकते द क्योंकि भारत में एक

और मुगलों का शक्तिशाली साम्राज्य था तो

दूसरी ओर मात्रा भूमि पर मार मिटे वाले

मराठा भी द ऐसे हालत में अंग्रेजों को भी

भारत में राज करने के लिए एडी छोटी का जोर

लगाना पड़ा था मगर धीरे-धीरे अंग्रेजों ने

हिंदुस्तान पर अपना वर्चस्व इतना बढ़ा

लिया की उन्होंने पूरे मुगल साम्राज्य को

ही खत्म कर दिया लेकिन इस इतिहास में सवाल

यह आता है

अगर यह जो ने कैसे किया खत्म मुगलों का राज अंग्रेज भारत कैसे आए अंग्रेजों ने भारत को गुलाम कैसे बनाया अंग्रेजों से भारत को कबाड़ जाती मिली


मुगल मुगलों के उसे शक्तिशाली साम्राज्य

को आखिर अंग्रेजों ने किस तरह खत्म किया

होगा आज के इस वीडियो में हम आपको वही

दास्तान सुनने वाले हैं तो उसी बात पर

चलिए शुरू करते हैं इतिहास के एक और नए

अध्याय को इतिहास बताता है की 16वीं सदी

के अंत में भारत इतना संपन्न था की पुरी

दुनिया में जितना उत्पादन होता था उसका

लगभग 1/4 हिस्सा केवल भारत में ही ukhata

था और यही वजह थी की भारत उसे समय सोने की

चिड़िया कहलाता था और पुरी दुनिया की नजर

इसी सोने की चिड़िया पर ही टिकी हुई थी

ऐसे में भला अंग्रेज कहां पीछे रहते उसे

समय हिंदुस्तान में दिल्ली पर सम्राट अकबर

का राज था और ऐसा माना जाता है की अकबर

अपने दौर के सबसे ज्यादा दौलतमंद बादशाह द

लेकिन उसी समय ब्रिटेन में भी गृह युद्ध

की स्थिति बन गई थी और उसे समय महारानी

एलिजाबेथ प्रथम की शासनकाल में अधिकांश

अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर करती थी

अफसोस की आपसे गृह युद्ध के चलते ब्रिटेन

वैश्विक स्टार पर केवल 3 से 4% उत्पाद पर

क्लिक कर का रहा था और इसी दौरान पुर्तगाल

और स्पेन ब्रिटेन को पीछे छोड़कर उनके

मुकाबला काफी ज्यादा तरक्की कर रहे द हालत

इतने बिगड़ चुके द की ब्रिटेन के लुटेरे

नाविक भी पुर्तगाल के जहाज को ही लूट कर

अपना कम चलते द क्योंकि ब्रिटेन में लूटने

के लिए कुछ बचा ही नहीं था लेकिन उसी

दौरान एक ब्रिटिश नवी को समुद्री यात्रा

के दौरान भारत की अपार संपदा और समृद्धि

के बारे में पता चला और ब्रिटिश गवर्नमेंट

तक ये खबर जल्दी पहुंच गई फिर आया समय

1600 का जब 200 ब्रिटिश व्यापारियों ने

मिलकर एक कंपनी बनाई और उसे कंपनी का नाम

रखा ईस्ट इंडिया कंपनी और इस कंपनी के

सदस्यों ने जब अपनी राजनीति और कूटनीति

महारानी एलिजाबेथ को बताई तो वो भी ईस्ट

इंडिया कंपनी को सपोर्ट करने के लिए तैयार

हो गए इधर भारत में इसी बीच बादशाह अकबर

की मौत हो चुकी थी और अकबर के बाद मुगल

बादशाह के दक्ष पर अकबर के बेटे जहांगीर

की टास्क उसी कर दी गई साला चुका था 1608

का इधर जहां की दिल्ली के पर अंग्रेजों की

चाल से बेखबर हिंदुस्तान पर राज कर रहा था

और उधर कैप्टन विलियम हॉकिंस समुद्री

रास्ते से गुजरात के सूरत में अपने कुछ

व्यापारी जहाज के साथ प्रवेश कर चुके द और

बस उनके आगमन के साथ ही भारत पर ऐसी काली

छाया मंडराने लगी की जिसने भारत को ऐसा

कला इतिहास दिया जो सृष्टि के अंत तक भी

भुलाया नहीं जा सकेगा अंग्रेजों ने भारत

में आते ही ईस्ट इंडिया कंपनी स्थापित

करने की घोषणा कर दी और अपने इसी प्रस्ताव

के साथ काफी बेस कीमती उपहार को लेकर

कैप्टन विलियम हॉकिंस अपने कुछ साथियों के

साथ जहांगीर के दरबार में पहुंचे बादशाह

जहांगीर उसे समय तो दर्ज और पुर्तगालियों

के दबाव के कारण इस प्रस्ताव को ठुकरा

देते हैं पर अंग्रेज भी कहां पीछे रहने

वाले द वो लगातार इस व्यापारिक समझौते के

साथ नई-नई प्रॉफिटेबल डील्स जोड़ते हुए

बार-बार जहांगीर के पास जाते रहे और अंततः

कुछ समय बाद ही जहांगीर ने इस प्रस्ताव पर

हस्ताक्षर करके अंग्रेजों को व्यापार करने

की मंजूरी दे दी और यह मजदूरी मिलते ही

अंग्रेजों ने पटना सूरत मुंबई और चेन्नई

में अपनी फैक्ट्री को स्थापित करके

व्यापार करना शुरू कर दिया शुरुआत में तो

इस कंपनी ने यहां के लोगों को रोजगार दिया

और बदले में उन्हें अच्छी तनख्वाह भी दी

जिस वजह से हिंदुस्तानी ईस्ट इंडिया कंपनी

से काफी प्रभावित हुए और कई हिंदुस्तानी

व्यापारी भी इन फैक्ट्री से जुड़ गए लेकिन

ज्यादा दिनों तक नहीं पूरे भारत में ईस्ट

इंडिया कंपनी का व्यापार बढ़ता ही चला जा

रहा था और अपने बढ़ते व्यापार की वजह से

अंग्रेजों के मैन में इतना ज्यादा लालच

बढ़ गया की उन्होंने भारत की सत्ता पर ही

कब्जा करने की योजना बना डाली और इसी

उद्देश्य से 1686 में britishon ने मुगलों

के खिलाफ जंग छेद दी और औरंगज़ेब से हुई

इस जंग में मुगलों ने ब्रिटिशर्स को पुरी

तरह से हरा दिया इस हर से ब्रिटिशर्स को

एक बात तो समझ में ए गई थी की मुगलों को

वो जंग लड़कर तो हरा नहीं सकते लेकिन

उन्हें भारत पर कब्जा भी करना था जिसके

लिए उन्होंने वो कूटनीति अपनी जिसका फायदा

वर्षों बाद भी आज तक भारत के धूर्त नेता

उठाते हैं और राज करते हैं और वो कूटनीति

थी डिवाइड एंड रूल की यानी आपस में फुट

डालो और इन पर राज करो जंग में हारने के

बाद ब्रिटिशर्स ने औरंगज़ेब से माफी

मांगते हुए ये वादा किया की वो दोबारा ऐसी

गलती कभी नहीं करेंगे और औरंगज़ेब ने भी

उन पर कुछ जुर्माना लगाते हुए उन्हें माफ

कर दिया और अपना व्यापार उसी तरह चालू

रखने की आज्ञा भी दे दी लेकिन मुगलों

द्वारा ब्रिटिशर्स को माफ करना ही मुगलों

के अंत का सबसे बड़ा जरिया बना क्योंकि

1707 में औरंगज़ेब की मौत के बाद कई लोग

मुगल सल्तनत पाने के लिए आपस में ही एक

दूसरे से लड़ने लगे और इसी लड़ाई के चलते

एक समय ऐसा आया जब कुछ कमजोर शासक मुगल

बादशाह बन गए जो की मुगल साम्राज्य को

व्यवस्थित ढंग से चला ही नहीं पाए ये

अनुभवहीन मुगल बादशाह रोज नए-नए नियम

बनाते और उन्हें बदलते रहते और उनकी इसी

तरह की बेवकूफियां के चलते अंग्रेजों को

मौका मिल गया अपनी चाल चलने का दरअसल 17

में मुगल बादशाह ने अंग्रेजों को एक

कर्मचारी किया जिसमें उन्होंने बहुत छोटी

सी रकम सालाना फीस के रूप में देखकर बिना

किसी लगाने या करके व्यापार करने की इजाजत

मिल गई और इसी दौरान पर्शिया के राजा ने

मौका देकर भारत पर आक्रमण बोल दिया अब

चूंकि ऐसे में मुगल शासक अपनी सत्ता के

नशे में इतने कोई हुए द की उन्हें अचानक

हुए इस आक्रमण के बारे में पता ही नहीं

चला और पर्शियन आर्मी दिल्ली तक पहुंच गए

और दिल्ली की गति मुगलों के हाथ से लगभग

छुट्टी गई थी स्थिति को पुरी तरह बिगड़ने

हुए देख कर मुगल बादशाहों ने तकरीबन 2

करोड़ रुपए जी हान उसे दौर में लगभग 2

करोड़ और कई बेशकीमती हीरे मोती देखकर

दिल्ली को बचाया इतनी बड़ी लूट के बाद

मुगल पुरी तरह से कमजोर पद गए और

अंग्रेजों की साजिश भी उन्हें कुछ समझ में

आने लगी पर अफसोस की अब वक्त हाथ से

फिसलता जा रहा था और उनका साम्राज्य भी

अंग्रेज लगातार भारत पर कब्जा करने की

अलग-अलग रणनीति अपनाते जा रहे द जिसके

पहले चरण में उन्होंने बंगाल के नवाब

सिराजुद्दौला को तक से हटा करने के लिए

जंग छेद दी और साथ अंग्रेजों ने वहां के

हिंदुओं और मुसलमान में आपसी फुट डालकर

डिविडेंड रूल के कूटनीति लागू की जिसे

संभालने में नवाब सिराजुद्दौला नाकामयाब

रहे और नतीजा अंग्रेजों के लिए फायदेमंद

रहा प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला को

हारने के बाद अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला

के सेनापति को अपने साथ मिला लिया और उसे

बंगाल का नवाब बना दिया समय बिता गया और

भारत पर अंग्रेजों की ताकत और अधिकार भी

उसी के साथ-साथ बढ़ती जा रही थी सैन 1764

में अंग्रेजी फौज ने बक्सर के युद्ध में

अवध के नवाब बंगाल के नवाब और मुगल नवाब

शाह आलम द्वितीया इन तीनों को हरा दिया

इसके अलावा निजाम और मैराथन के बीच में भी

फुट dalvakar अंग्रेजों ने पहले तो उन्हें

लड़ाया और फिर उनकी लड़ाई का फायदा उठाकर

खुद उनकी कमजोर सी को हराकर उनकी रियासतों

पर कब्जा कर लिया और अंग्रेजों ने अपनी

इसी रणनीति और कूटनीति को अपनाते हुए

18वीं सदी तक भारत के लगभग तो हर एक

क्षेत्र पर अपना संपूर्ण कब्जा जमा लिया

जिसके बाद उन्होंने व्यापार और अपने

अधिकार क्षेत्र की अन्य कई चीजों पर अपनी

मरमर जी के टैक्स लगाकर भी काफी कमाई कारी

और भारत को अंदर तक लूट लिया अंग्रेजों को

अभी भारत में पुरी तरह से राज करने के लिए

कुछ भारतीयों को भी अपने साथ शामिल करना

था और उन्होंने उन बड़े जमींदारों को अपने

साथ मिला लिया जिनसे उन्हें आगे चलकर काफी

फायदा हो सकता था यूं तो अंग्रेजों ने

भारत में कुछ बहुत अच्छे कम भी किए जैसे

की एजुकेशन पॉलिसी लागू करना रोड

कंस्ट्रक्शन रेलवे वगैरा लाना जिस वजह से

कई समाज सुधारक अंग्रेजों से प्रभावित हुए

और उनका साथ देने लगे मगर यही विश्वास घाट

की वजह थी की 1857 की स्वतंत्रता क्रांति

के दौरान कई बड़े जमींदार और समाज सुधारक

अंग्रेजों के साथ हो गए द जिसकी वजह से

आगे चलकर अंग्रेजों को भारत पर जीत हासिल

करने में मदद मिली भारत पर जीत के साथ ही

मुगल साम्राज्य के आखिरी बादशाह बहादुर

शाह ज़फ़र को अंग्रेजों ने अपना बंदी

बनाकर रंगून की जेल में भेज दिया और उनके

बेटे वी खानदान के तमाम लोगों को मौत की

नींद सुला दिया और पूरे भारत को अपना

गुलाम बना दिया तो दोस्तों ये थी वो दुख

भारी दास्तान जिसमें मुगलों की एक गलती और

अपने निजी स्वार्थ की भावना ने अंग्रेजों

को भारत में पांव पसारने का मौका दे दिया

और उनकी इसी गलती का खामियाजा

हिंदुस्तानियों की कई पीडिया को भुगतना ना पड़ा 

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