कित 00 चल रहा सोना सस्ता होगा
लन शलगम जो है ₹ किलो मिल जाते हैं 40 आज
ये 60 बता रहे हैं भैया क्या मटर लगा रहे
हो रेट भैया कुछ तो कम कर
लो अरे कुछ तो करना चाहिए ना
भैया सबसे अच्छा इसका ट अच्छा रेट है 100
से कम
है 60
हा हम लोग गिरिनगर के सामने जस्ट हनुमान
मंदिर है जी मंडी है हमारा मैं वहीं पर ही
हूं आज हमने अपने राहुल गांधी जी को अपने
घर प भी चाय प बुलाया है आ ये देखें कितनी
महंगाई है हमारा बजट जो है ना बहुत ज्यादा
बिगड़ रहा है सैलरी किसी की नहीं बढ़ी बढ़
गया रेट तो वो घटने का नाम नहीं लेता वो
बढ़ ही गया आगे और बढ़ेगा उनके माध्यम से
हम ना अपनी बातें सब जगह पहुंचा सकते
हैं नमस्कार बहुत अच्छा लगा सर नमस्कार
कैसे हैं आप नमस्कार
थोड़ा सा टमाटर ले थो प्याज चल जाए भैया
कितना महंगा क्यों है इस बार बिल्कुल ही
कम नहीं हो रहा 30 35 तो हो ही नहीं रहा
इस ब बहुत मह रही है इससे पहले कभी नहीं
साल बहुत मह रही है ये आएंगे तभी तो सस्ते
होंगे लहसुन लसन तो नहीं दे सकते सर जी हम
कितना
ल सोना सस्ता होगा लसन लसन कितने का है
400 कितने का
लसन कुछ कम नहीं
करेंगे कुछ तो कम कीजिए कम से कम पा तो ले
लू घर चलाने के लिए कितना देना है पा ₹
देना है कुछ तो कम
करो चलो ठीक है एक पाव कर दीजिए पूरे साल
कोई भी चीज सस्ती नहीं हुई आलू प्याज जो
बेसिक चीज है हम जैसे मिडिल क्लास लोगों
के लिए उनमें से ऐसी कोई चीज नहीं जो
सस्ती हुई हो और पुराने प्याज वो अभी
पिछले हफ्ते 0 किलो खरीदे हमने जहां किलो
में लहसुन खरीद रहे हैं वहां एक पाव में
आप काम चलाना पड़ रहा है इतनी महंगाई है
मैं तो आती हूं चार पांच सब्जी लेने दो
सब्जी लेके घर वापस जाती च और कुछ ले मुझे
मटर चाहिए था कितने रुपए किलो मटर ₹10
किलो जो सीजन में मटर गिरती है वो 0
पर्टिकुलर होती ही होती है लेकिन इस बार 0
किलो हर साल बढ़ता ब इस साल तोत ज्यादा है
सर क्या ले रही है आज आप देखिए मैंने शलगम
लेने थे तो शलगम जो है ₹ किलो मिल जाते
हैं 40 आज ये 60 बता रहे हैं आपके मुताबिक
महंगाई क्यों बढ़ रही है महंगाई क्यों बढ
है जो सरकार बैठी हुई है वो सरकार इस चीज
को तो देखती नहीं है कि महंगाई बढ़ रही है
उनको तो अपने दूसरे भाषणों में है और यह
नहीं देखते कि जो आम पब्लिक है जो उनका
क्या होगा कि वो खाना एक खाना खाना है
नॉर्मल उस वो भी इतना महंगा हो गया तो
कैसे खाएंगे जो चीज हम 500 में लेते थे आज
हज में आती है तो हम कटौती करेंगे तो
कटौती करने से क्या है फिर हम लोगों की और
परेशानिया बढ़ेंगी बीमारिया भी और बढ़ेंगी
उस हिसाब से अब ये देखिए तोरी जो 30 4
किलो मिल जाती थी अब 00 अब मुझे तो पेशेंट
के लिए लेनी लेनी है तो मैं क्या करूं
मेरा बजट तो बिगड़ गया ना सारा
एक्चुअली में क्या होता है जब ये प
स्टार्ट होता है तो ये इतनी सस्ती हो जाती
है कि हम लोग पिकल्स बना लेते थे और पूरा
साल ऑफिस में चल जाता था और आज का टाइम यह
है कि शायद हम इससे सब्जी भी नहीं बना
सकते तो पिकल्स तो बहुत दूर की
बात मटर क्या मटर लगा
रहे कुछ तो कम कर
लो कुछ करना चाहिए भैया
[संगीत]
कैसे हैं तो ये महंगाई हर साल बढ़ती जा
रही है
ब इससे आपको प्रेशर पड़ता होगा सर बहुत
कटौती करनी पड़ती हैल का ऐसे है ना कि हर
साल जो इंक्रीमेंट होता है वो दो तीन साल
से नहीं हो रहा हमारी सैलरी वही की वही है
दो तीन साल
से तो अब आप बताइए महंगाई के बारे में आप
बताइए क्या सोच महगाई की बात यही है
अगर किसी को मिलता हैज में अ ये लगा लो
गाड़ी का खर्चा आने जाने का खर्चा नाश्ता
पानी का खर्चा घर का खर्चा किराया देना
बाल बच्चा का खर्चा अब उसम इतनी महंगाई
में क्या बचेगा उसको तो कर्जा हो नहीं
होना है जीएसटी से महंगाई बढी है जीस के
बाल मार्केट अगर कोई चीज लेने जा रहे हैं
तो वहा क्या होता है हम उन्हे कहते हम
आपको ऑनलाइन पेमेंट करेंगे तो एक्सेप्ट
नहीं करते ला नहीं लेे क्योंकि हम जीएसटी
पड़ जाएगी इस वज से मना कर बहुत सी चीजों
में क्या होता है जीएसटी की वजह से हमें
सामान भी नहीं मिलता जैसे कि हम यहां से
अगर हर कुछ खरीदेंगे ना तो हमारा फिर भी
बजट बिगड़ जाएगा हमें सदर जाना पड़ता है
ताकि हम कुछ पैसे बचा
सके मैं मात्र 12000 कमाती हूं मेरी दो
बेटी हैं करती क्या मैं बसे बच्चों को
देखती हूं मैं टाइ सुबह जाती हूं 9 बजे
शाम को 5 बजे आ लोगों के घर में जाती नहीं
सिर्फ एक ही घर में एक गुड़िया है उ देखती
की लड़की है एक्सपेंस आपका किसम जाता है
सागे सब्जी दाल तेवन में राशन पताई में हम
लोग परेशान है एक कमाए वाला छह खाने वाला
कहां से बचेगा इस आजकल की महंगाई में कहां
से गुजारा होगा भैया तो आपके जो 000 बनते
महीने के उसका आप कैसे इस्तेमाल करते हो
क्या-क्या उसमें जाता है अभी तो मैंने
पिछले महीने भरवाया था राशन वगैरह तो उसी
से चल रहा है अभी तो इस महीने तो मेरे पास
सही बताओ सर जी 0 किराए की भी नहीं है
आपको झूठ क्यों बोल क्योंकि सारा मैंने
किराए प उस पर लगा दिया था तो आना जाना
मैं पैदल ही करती हू